उचित सुझाव
मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने राजनीति में अपराध के आरोपियों के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह से रोक लगाने का सुझाव प्रस्तुत किया। उनका यह सुझाव वास्तव में सरहानीय है। जनता द्वारा वोट करते समय सर्वाधिक दुविधा एक योग्य उम्मीदवार के चयन में होती है। अपराधिक छवि वाले उम्मीदवार अपनी दबंगई का लाभ उठाते हुए चुनावी परिणाम का रूख मोड़ देते हैं। यदि इन उम्मीदवारों को राजनीति की बिसात का मोहरा नहीं बनने दिये जाये तो निःसन्देह आम जनता का राजनीति में विश्वास सबल होगा। उनकी लोकतंत्र में रूचि व आस्था बढ़ेगी। साथ ही अच्छे व योग्य नागरिकों को इस क्षेत्र में जन-कल्याण के सुअवसर प्राप्त होंगे। अब देखना ये है कि इस छटनी रूपी तलवार की धार को हमारे राजनेता कितना तीक्ष्ण रहने देते हैं? क्या इस प्रकार की प्रक्रिया इन्हंे स्वीकार्य होगी? और इस प्रक्रिया के पश्चात् कितने सज्जन व योग्य नागरिकों को देश सेवा के लिए विस्तार मिलेगा? भ्रष्टाचार की त्रास्दी से त्रस्त जनता को कुरैशी जी ने उम्मीद की किरण तो दिखा दी है परन्तु यह कब तक अपने अस्तित्व को बचा पायेगी यह कहना अत्यन्त कठिन है। इससे पूर्व भी कई बार उम्मीदवारों की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह आरोपित होते रहे हैं परन्तु ढ़ाक के वही तीन पात। परिणाम शून्य। भला कोई अपनी सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी को क्यों काटेगा?
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