होली का संदेश
हरे-लाल-पीले-नीले रंगों की रंगबिरंगी होली जीवन के रंगों को तब और भी अधिक चटक कर देती है जब दिलों के मैल होली के रंगीन पानी में कहीं खो जाते हैं। इस त्यौहार की रंग लगाकर गले लगाने की परम्परा हृदय स्पर्श के साथ मधुर भावनाओं का संचार करती हैं। परन्तु इस पावन उत्सव की पवित्रता को कुछ लोग अपनी अंध-मस्ती के जोश से दूषित करने का प्रयास भी करते हैं। होली से कई दिन पूर्व ही राह चलते लोगों पर रंगों से भरे गुब्बारे फेंकना उनको तो आनन्दित कर देता है परन्तु उस राहजन की बढ़ी हुई मुश्किलों से इन मस्तानों को कोई सरोकार नहीं होता। होली के दिन भी किसी-किसी के दिलों के मैल इतने जिद्दी हो जाते है कि उस पर प्रेम के डिटेरजेंट भी फेल हो जाते है। दाग फिर भी रह जाते हैं और ये दाग अच्छे भी नहीं होते। और बार-बार दूरियों का अहसास कराते हैं। दुर्भावनाआंे के भरा मन भला क्या ईश वंदना करता होगा? क्या ईश्वर ऐसी प्रार्थना स्वीकार करते होगें? प्रत्येक त्यौहार सद्भावना, सहभागिता, आत्मीयता, प्रेम, अपनत्व एवं जनकल्याण के संदेश को लेकर आता है। यदि हम उस त्यौहार के संदेश को ही ना समझ पाये तो क्या औचित्य है त्यौहार मनाने का?
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