‘‘लूट का नया स्वरूप’’
मुरारीपुरम स्थित फ्लोरा डेल्स स्कूल में ग्रेजुएशन पार्टी का आयोजन किया गया। इस पार्टी में यूकेजी के बच्चों ने ब्लैक गाउन व कैप पहन कर उपाधि प्राप्त की। निःसंदेह बाह्य रूप से देखने पर यह सब अत्यन्त उत्साही व सुखदायी प्रतीत होता है। परन्तु इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि विश्वविद्यालयी स्तर पर दी जाने वाली उपाधि हेतु पहने जाने वाले गाउन व कैप की गरीमा का किस प्रकार उपहास किया जा रहा है? यह गाउन व कैप डिग्री धारकों के सम्मान का प्रतीक है, इनको छोटे बच्चों को पहनाकर उच्च डिग्री धारियों के समतुल्य दिखाना कितना औचित्यपूर्ण है? इस गाउन व कैप को पहनने का स्वपन लिए बच्चे पूर्ण क्षमता से मेहनत करते हुए शिक्षा ग्रहण करते हैं। यदि यह गाउन उनकी शिक्षा के अग्रिम स्तर पर ही उन्हें पहना दिया जायेगा तो उनके लिए ये दो सम्मानीय वस्त्र महत्वहीन हो जायेंगे। इनके प्रति आकर्षण ही समाप्त हो जायेगा। साथ ही एक विचारणीय पहलू इन दोनो वस्त्रों के माध्यम से आरम्भ किये जा रहे नये व्यापार का भी है। स्कूल गाउन व कैप के लिए अभिभावकों को बाध्य कर किराया वसूलते हैं। शनैः-शनैः यह परम्परा प्रत्येक स्कूल में आरम्भ हो जायेगी और स्कूल मालिकों को कमाई का एक नया क्षेत्र मिल जायेगा। आरम्भिक स्तर पर ही इस परम्परा को रोकने की आवश्यकता है। अभिभावक विचार करें कि स्कूलों द्वारा बढ़ाई गयी फीस के मसलों के साथ-साथ इस प्रकार की जा रही अवैध लुटाई भी उन्हें ही आर्थिक व मानसिक हानि पहुँचा रही है।
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